लगता है वजूद मेरा.......
लगता है वजूद मेरा.......
लगता है वजूद मेरा, बस कागज़ों पर रह गया है,
चंद शब्दों में ढल गया है, स्याही में बह गया है,
बड़ी बेमुरवत सी होकर, हर हक़ीक़त है गुज़री,
घबरा कर अब ये शायद, पन्नों से लिपट गया है।
लगता है वजूद मेरा, बस कागज़ों पर रह गया है…..
ये मेरे शेर, मेरे, सभी अनकहे अफ़साने हैं ,
मैं हूँ मिलता जहाँ अब, ये वही ठिकाने हैं,
मेरा माँझी, मेरे मुस्तक़बिल, पर हावी ही रहा,
घबरा कर मेरा, 'आज', ठिठक कर रह गया है।
लगता है वजूद मेरा, बस कागज़ों पर रह गया है…..
मेरा चर्चा सिर्फ हो, महफ़िल में तो बेहतर है,
मेरे होने ने तो पंकज, सिर्फ तमाशे हैं किये।
मेरे होने, न होने, की बात, अब न कोई भी करे,
हर बार औरों के होने पर, बिक कर रह गया है,
लगता है वजूद मेरा, बस कागज़ों पर रह गया है…..