कसक
कसक
मुद्दतों बाद उनकी गली में
जब जाना हुआ
मानो दिल को एक बार
फिर आज़माना हुआ
बालों में चाँदी की चमक
भी ना छुपा सकी
चेहरे की रौनक़
दिल की धड़कन
भी जैसे गयी हो ठिठक
कमबख़्त ये इश्क़ भी
ना देखता है उम्र
ना सालों के फ़ासले
फिर दिखा गया वो
पहले प्यार
की मीठी सी झलक
वही अनकही कहानियाँ
और वही फिर से
मिलने की ललक