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Sonal Bhatia Randhawa

Abstract Inspirational

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Sonal Bhatia Randhawa

Abstract Inspirational

एक डॉक्टर की पुकार

एक डॉक्टर की पुकार

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युद्ध के मैदान में 

मैं शस्त्रविहीन खड़ा हूँ

फिर भी 

अनदेखे दुश्मन से 

लड़ने की ज़िद्द पर अड़ा हूँ


तुम्हें बचाने की 

कोशिश में मैं 

जी जान से लगा हूँ

घर जा नहीं सकता 

माँ बाप बीवी बच्चों को 

गले लगा नहीं सकता 


बस तुम्हारी साँसें चलती रहें 

इसी लिए रात रात जगा हूँ

तुम मारते हो पत्थर 

कभी देते हो मुझको गाली 

लहू टपकता है मेरा 

मगर फिर भी मैं


कर्तव्यपथ पर अडिग खड़ा हूँ

बेड नम्बर दो की 

ड्रिप नहीं चल रही 

तीन नम्बर वाले की 

पल्स नहीं मिल रही 

अरे सात वाले को 


ऑक्सिजन लगाओ

भाग भाग कर भी नहीं थका हूँ

छोड कर सब कुछ 

जो मैं बैठ गया घर में 

ना पैसा ना पावर 


ना मंत्री ना फ़िल्मी हीरो 

कोई भी ना बचा सकेगा तुम को 

क़दर करना सीखो यारों 

मैं ही ढाल बन तुम्हारी 

ज़िंदगी और मौत के बीच खड़ा हूँ !


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