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Sonal Bhatia Randhawa

Abstract

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Sonal Bhatia Randhawa

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बदलते रिश्ते...

बदलते रिश्ते...

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वक़्त के साथ रिश्ते 

बदल जाते हैं कैसे 

कल जिस रिश्ते में 

वक़्त का पता ना था 

आज उसी के लिए

 है वक़्त कहाँ 

कल जिस रिश्ते का 

कोई नाम ना था 

आज वो बस 

नाम का हो गया 

कल जिस रिश्ते में 

कोई दूरी ना थी 

आज वो दूर का हो गया 

कल जिस  रिश्ते में 

सिर्फ़ हम था 

आज उसमें बस  "तुम"

और  "मैं" रह गया 

वक़्त के साथ रिश्ते 

बदल जाते हैं कैसे 

कभी रिश्तो में वक़्त था 

अब सिर्फ़ "वो वक़्त"

का रिश्ता रह गया !



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