Dr Jogender Singh(jogi)
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ठिठक जाना, ठहर जाना ठिठक कर।
झटक कर बेपरवाह लट को,
फिर मुस्कुराना किश्तों में
ठिठक ठिठक कर,
बेपरवाह अंदाज़ या साज़िश है कोई?
गले लगते लगते, रुक जाना,
फिर हाथ मिलाना ठिठक कर।
नींद
गुरु
कैसी दीपावली
आखिरी जेवर
सुबह
भुल्लन
खिड़की की जाल...
विस्तार
बेपनाह
दूर नहीं तू