ये ग़लतफ़हमी हमने पाली थी
ये ग़लतफ़हमी हमने पाली थी
जिसके नाम की माला कभी गले में डाली थी
वो सिर्फ़ मेरा है ये ग़लतफ़हमी हमने पाली थी
जब-जब वह मेरी गली से होकर निकलता
साथ उसके मेरे ख़्वाबों का कारवाँ चलता
कई बार जताया इस दिल में उसकी जगह खाली थी
ये बात वह समझा होगा ये ग़लतफ़हमी हमने पाली थी
राह में जब मिलता मुस्कुराके निकल जाता
उसकी हर मुस्कान पर ध्यान फिसल जाता
चुपके-चुपके दिल उसको चाहने लगा था
उसके ख्यालों के बिना चांदनी रात भी काली थी
उधर वह बेचैन होगा ये ग़लतफ़हमी हमने पाली थी
बेशुमार सपने नयनों में सजा कर रक्खे थे
अनदेखे लम्हों को दिल में बैठा कर रक्खे थे
सब टूट कर बिखर जाएगा सोचा न था
बनकर इक दीवाना कभी इधर निगाह
न डाली थी
इक दिन ज़रूर पिघलेगा ये ग़लतफ़हमी हमने पाली थी
सोचा था ज़िन्दगी इक दिन फिर रफ़्तार पकड़ेगी
उसकी कशिश आकर अपनी बाहों में जकड़ेगी
वहाँ क्या चल रहा है उसने कभी बताया नहीं
उसके रंग में कभी ढल न सकी शायद भोली भाली थी
ये बात वो समझता होगा ये ग़लतफ़हमी हमने पाली थी
अब अहसास होता है क्या ये महज़ सपना था
जिसे दिल दिया था क्या कोई अपना था
अनकहीं कहानियों में अक्सर हम खो जाते हैं
बेगुनाह होकर भी हसरतों की हमारी भरी न थाली थी
चाँद की सैर कराएगा ये ग़लतफ़हमी हमने पाली थी
कभी कुछ माँगा नहीं फिर क्यों बेरुखी हमसे
वो हमारी अमानत है ये ग़लतफ़हमी हमने पाली थी।