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praveen ohdar

Romance

4  

praveen ohdar

Romance

प्रिय तुम याद आए

प्रिय तुम याद आए

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घिर आए सुधियों के बादल

शीतल शीतल चली हवाएं,

भींगे भींगे इस मौसम में

प्रिय बारबार तुम याद आए।


चमक उठी मेघों में बिजली

गरज उठी सब ओर दिशायें,

बरखा के रिमझिम ने सजनी

गीत मिलन के जब जब गाए,

प्रिय बारबार तुम याद आए।


चहक उठे घाँटी के पंछी

महक उठी पर्वत मालाएं,

श्यामल बादल के झुरमुट में

तुम हौले से मुस्काये,


सर्पित सड़को के मोड़ो ने 

जीवन के लो भेद बताए,

हर मोड़ पे बदल गया मन

पर तुम बिन न हम जी पाए,

प्रिय बारबार तुम याद आए।


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