Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

praveen ohdar

Tragedy

4  

praveen ohdar

Tragedy

अकेलापन

अकेलापन

1 min
341


एक कोने में बैठकर कैसे गुजारें हरपल 

अपनों से दूर होके, हर जगह मिला सूनापन ।


सूझता नहीं कुछ करने को ,बस काटे जा रहे दिन ।

उलझनों में फंसते हंसते , कैसे उबरे तुम्हारे बिन ।


सोचा कुछ पल के लिए ,तन्हाइयों से उबरने के लिए ।

कलम चला कर देखा ,थम सी गई सोचने के लिए  ।


 चिड़ियों की चहचहाहट ,कभी खिड़कियों से गुजरती ।

 प्रबल भरती उन्माद से,चेहरे में चमक सी निकलती ।


बाहर निकल कर देखा ,सन्नाटा छाया था कौन ?

सब स्तब्ध एकांत दृश्य ,और विरल हो रही थी मौन ?


अकेलापन बढ़ता जा रहा था ,सूनापन काटे जा रहा था ।

सेज भी अकेले में , छटपटाहट दिए जा रहा था  ।


हाथ पैरों में कितने बार ,अंगड़ाई बार-बार आ रहा था ।

सूनापन जिंदगी की ,आकुलाहट से कम नहीं था ।


अकेलेपन को दूर करने ,टी वी कूलर सब चला दिया । 

कुछ पल के लिए ठहरा सा ,धीरे से मन विचलित कर दिया।


ऊब गया मन सब चीजों से,डूब गया फिर,दूर चिंतन में ।

 मन को बहलाया समझाया,गुजरा दुनिया की रीतियों से।


घर की चार दीवारों से, अंधेरा सन्नाटा छाया हुआ ।

जीवन चमकती रोशनी से,उम्मीदों की किरणें भरता हुआ।


     


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy