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praveen ohdar

Inspirational

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विजय घाट से

विजय घाट से

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भारत की माटी का नन्हा,

मूरत सत्य  ईमान की।

विजय घाट में एक समाधि ,

उस नेकनीयत इंसान की।

      कद मध्यम, थी दुबली काया,

      पर हृदय था बड़ा विशाल।

      भारत मां की गोद में आया,

      वह बन गुदरी का लाल।

बड़े अभाव में बचपन बीता,

उठ गया पिता का साया।

हुई एक घटना माली ने,

जीवन  का  पाठ पढ़ाया।

       अंदर बाहर एक समान,

       न कोई बड़ा दिखावा।

       खादी धोती, कुर्ता, बंडी,

       गांधी टोपी पहनावा।

साधक, कर्मयोगी, अध्यापक,

जब बदली दिशा डगर की।

देख अशिक्षा, भूख, गरीबी,

थी चिंता इस महासमर की।

      बाहर निश्चल मुस्काती सूरत,

      अंदर से  बड़ा  निडर था।

      दुश्मन से आंख मिलाकर बोले,

      इस हस्ती का बड़ा जिगर था।

हे, लाल बहादुर शास्त्री,

तू जनमानस का प्यारा।

विजय घाट से गुंज रहा,

सन् पैंसठ का तेरा नारा।



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