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praveen ohdar

Drama Classics

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praveen ohdar

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तेरी शरण मे कान्हा

तेरी शरण मे कान्हा

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कान्हा जी, तू अब तो

आजा, मेरे जिंदगी में।

राह टकोरता हूं,

बस, तेरे ही खयालों में।।


आंखें तरस रही है,

बस, तेरे ही रूप को।

कान्हा जी, तेरी बंशी से,

हर दो, दुख तकलीफ को।


उलझनों में फंस गया हूं,

मझधार, से उबार दे।

तेरी ही कृपा से,

मेरे जिंदगी संवार दे।


टूट चुका है, मेरा मन

दुनिया की, ब्याभिचारी से।

तू ही तो है, जग का सहारा,

सब का कल्याण कर दे।


तू तो जग का न्यारा है,

जीवन की बस, सहारा है।

सार तू ही एक है ,

अब तो मैंने जाना है।


भक्ति रूप लेके चला,

तेरी ही, शरणों में।

 तन मन समर्पित है,

 तेरी ही, चरणों में ।

कान्हा जी, तू अब तो

आजा, मेरी जिंदगी में।


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