आज रात है सुहागों वाली आई
आज रात है सुहागों वाली आई
आज रात है सुहागों वाली आई।
प्रियतमा ने आज है मेहँदी रचाई।
व्रत रखा, सुबह से कुछ नहीं खाई।
उनकी लंबी आयु की अरज लगाई।
वह तप से बिल्कुल नहीं डगमगाई।
प्रियतमा ने मांग सितारों से सजाई।
सर्द हवाओं की है चली पुरवाई।
माहताब ने कुछ यूं ली अंगड़ाई।
प्रियतम रंग में सजनी रंग आई।
दीदार- ए- चांद की ऋतु आई।

