सुबह सकारे उठनेवाला
सुबह सकारे उठनेवाला
तू ही तो है ज़िन्दगी के घने अंधेरों को
उजालों की पूर्ण रौशनी से भरने वाला !
और तू ही तो है गहन तिमिर की ओट में
वनराज़ को आखेट की आज्ञा देनेवाला !
तू ही तो रोज़ भिंसारे उगाता है सूरज
तू ही है चाँद की चाँदनी बिखेरनेवाला !
तू ही तो बदलता आया है समयचक्र को
दिन रात को क्रमश तब्दील करनेवाला!
तू ही तो रखता इस अवनि का सदा ध्यान
तू ही तो लता है सदा नवजीवन का विहान!
तू ही है अनल और समंदर का उठता उफान
नाम चाहे कुछ भी हो पर तू है सबका भगवान !