दुर्योधन...
दुर्योधन...
हाँ.. हाँ .. हाँ...
मैं हूँ दुर्योधन,
क्या कहता है कृष्ण का सुदर्शन
हाँ.. हाँ.. हाँ... मैं हूँ दुर्योधन......
छल कपट ना हूँ करता मैं कभी
फिर भी कहलाया जाता रहा
देता हूँ मैं सबको क्रंदन
हाँ.. हाँ.. हाँ... मैं हूँ दुर्योधन......
अपना ही हक सदैव ही माँगा हैं मैंने
झूठे साथी सारे बने रहे अपने
गर्व के चोटी तक ना ही कभी पहुँचा हूँ मैं
माते का था लाड़ला पुत्र मैं
फिर भी कभी किया नहीं मैंने अभिमान
हाँ.. हाँ.. हाँ... मैं हूँ दुर्योधन......
सिर्फ एक सखा ही सच्चा पाया हैं मैंने
जिसने किये अपने प्राण मुझपर अर्पण
जिता रहा जैसे दीपक बाती के संग
वो था मेरा प्रिय मित्र कर्ण
हाँ.. हाँ.. हाँ... करता हूँ उसको कोटी-कोटी वंदन
हाँ.. हाँ .. हाँ...
मैं हूँ दुर्योधन,
क्या कहता कृष्ण का सुदर्शन
हाँ.. हाँ.. हाँ... मैं हूँ दुर्योधन......
