कुछ वो कह ना पाते है, जो हमे जीना सिखाते है। एक कोने में वृद्धा लेटी हुई , ओढ़े चादर फटी हुई। कुछ वो कह ना पाते है, जो हमे जीना सिखाते है। एक कोने में वृद्धा लेटी हुई , ओढ़...
मैं करता हूँ तेरा आह्वान हृदय मे एकता का मूल मंत्र लिए। मैं करता हूँ तेरा आह्वान हृदय मे एकता का मूल मंत्र लिए।
और फिर समता की एक नई फसल लहलहाऊँगा। और फिर समता की एक नई फसल लहलहाऊँगा।
स्वयं दीप सा पथ प्रकाशित करना लक्ष्य सधे बिन तुम मत रुकना। स्वयं दीप सा पथ प्रकाशित करना लक्ष्य सधे बिन तुम मत रुकना।
उठ खड़ा हो, फिर चलता, कहीं "दुत्कार" तो कहीं "दया का पात्र" बनता उठ खड़ा हो, फिर चलता, कहीं "दुत्कार" तो कहीं "दया का पात्र" बनता
समाज के विषयों को ,ही देख के कविता भी अपना रूप बदलती है ! समाज के विषयों को ,ही देख के कविता भी अपना रूप बदलती है !