मुझे तुम्हारी जरूरत नहीं...
मुझे तुम्हारी जरूरत नहीं...
हाँ..
तुम्हें शायद होगा ना
तुम जब काम में या कहीं और बीजी हुआ करते थे न
तब मेरे बार -बार कॉल करने से परेशान हुआ करते थे
इतना परेशान के तुम्हें इरिटेशन होने लगती
और तुम मेरा नंबर ही ब्लॉक कर देते थे
जब तुम ब्लॉक कर के निकल जाते थे न
तब रो - रोकर मेरा क्या हाल होता था
तुम कभी सोच या समझ ही ना सके
तुमको तो बस अपनी प्रायवेसी प्यारी थी...
एक कॉल से शुरू सिलसिला पचासों मिसकॉलों का
नॉटीफिकेशन तुम्हारे फोन पर बिखेरते थे
कॉल बैक के मैसेज पर मैसज
फोन के हिस्ट्री में तुम्हारे दम तोड़ा करते थे
फिर भी परवाह कहाँ तुम्हें होती थी
तुमको तो मेरा पागलपन ही नजर आता था...
शायद तुम ये बात भी भूल चुके थे के
ये हर पल, हर जगह, हर माहौल में
बातों का सिलसिला तुमने ही तो मुझे सिखाया था
जिसका कोई नहीं था
उसको तुमने ही तो अपनाया था
फिर जब तुम्हें कोई और मिल गया तो
तुम्हारा मुझसे दम घुटने लगा था...
ये सच था के हम घंटों बाते करते थे
तुम अपना काम कर के जब घर को लौटा करते थे न
बस तुमसे इतना कहना था के
घर पर पहुँच कर कॉल या मैसेज कर दिया कर
ना
ये नहीं के तुमसे चिपके रहना था
जानती थी जो तुम्हें अच्छे से
कितनी रफ तो चलाया करते थे ना अपनी बाइक को
डर लगा करता था कहीं तुम्हें कुछ हो न जाए
क्यूँकि तुम्हारे अलावा कोई और ना था मेरा
इस बात से भी तुम्हें दिक्कत थी मेरी
तोड़कर बोलने की बस आदत मार देती थी तुम्हारी
छोड़ गए ना.. छोड़ जाना ही था तुम्हें...
लेकिन
अब तुम्हारे जाने के बाद
सब कुछ बदल लिया है खुद में
फोन को इस्तेमाल करना ही छोड़ चुके हो जैसे
फोन तो हैं लेकिन सिम ही नहीं हैं न
नया नंबर ही नहीं लिया इन कई सालों में
डर लगता हैं कहीं फिर तुमसे बात करना ना शुरू कर दूँ
जानती हूँ .. लौट आओगे मेरी एक आवाज पर
अब के तुम्हें लौटने की इजाजत नहीं है,
अब तुम परवाह, इज्जत, प्रेम इन व्याकरणों से बाहर हो,
जितना दर्द तुम दे सकते थे दे चुके
अब मेरा तुम्हें ना अपनाना ही
तुम्हारा अभिशाप रहेगा .. जब तक तुम जीवित रहोगे.....
प्रेम मेरा अस्तित्व था...
तुमको इसको मिटाकर राख करने का
इस जनम तो क्या, सात जनम भी ना दूँगी
अब खुद से एक वादा हैं मेरा..
मुझे तुम्हारी जरूरत नहीं....