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Jalpa lalani 'Zoya'

Abstract Drama Inspirational

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Jalpa lalani 'Zoya'

Abstract Drama Inspirational

पुरानी यादों की चादर

पुरानी यादों की चादर

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ख़ुशी, ग़म, प्रेम, धोखे के टुकड़े मिलाकर,

बुन ली है मैंने पुरानी यादों की चादर।


सुराख़ से सर्द हवा झाँकती, मैली, फटी सी,

फिर भी गर्माहट देती पुरानी यादों की चादर।


जब सितम ढाए तेज़ धूप और गर्म हवा,

अंगारों सी तपती जमीं पर बनती मेरा बिस्तर।


कभी सताए बुरे ख़्वाब, हो तन्हाई महसूस,

पुरानी यादों की चादर ओढ़ लेती हूँ लपेटकर।


ख़ामोशी से जब बहता है अश्कों का सैलाब,

बन जाती माँ का आँचल पुरानी यादों की चादर।

29th January


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