हमसफ़र
हमसफ़र
मैं ढूँढती थी हमसफ़र ज़िन्दगी का
ज़िन्दगी में ही उलझ कर रह गई
प्यार तो उनसे कबसे करती थी
पर आज बताकर आ गई
रेत पर नाम लिखा था उनका
उसी रेत को मुट्ठी में लेकर आ गई
प्यार तो उनसे कबसे करती थी
पर आज बताकर आ गई
यह हवा कुछ कह रही थी उनके बारे में
मैं उन हवाओं से बात करके आ गई
प्यार तो उनसे कबसे करती थी
पर आज बताकर आ गई
कुछ गलतियों का गुनाहगार समझती थी उनको
पर उनको आज माफ करके आ गई
प्यार तो उनसे कबसे करती थी
पर आज बताकर आ गई
मैं साथ रहना चाहती थी उनके
पर आज सिर्फ पता पूछ कर आ गई
प्यार तो उनसे कबसे करती थी
पर आज बताकर आ गई
अपनी जान से ज़्यादा प्यार कर बैठी थी उनको
इसलिए खुदा से उन्हें अपनी किस्मत में लिखवा कर आ गई
प्यार तो उनसे कबसे करती थी
पर आज बताकर आ गई।