मंज़ूर
मंज़ूर
मैं हर लम्हा तुम्हें याद करूँ,
क्या तुम्हें मंज़ूर है?
तुम्हारा अक्स मेरी आँखों में हैं,
मैं उसे अपने अंदर समा लूँ,
क्या तुम्हें मंज़ूर हैं?
ज़िन्दगी में वो हसीन लम्हा,
हर उस लम्हें में मेरे साथ ज़िन्दगी जीना,
क्या तुम्हें मंज़ूर हैं?
तुम्हें यूँ छुप-छुप कर देखना,
मेरी आँखों का तुम्हारा दीदार करना,
क्या तुम्हें मंज़ूर हैं?
मेरी अपनी किस्मत धोखा न दे जाए,
इसलिए तुम्हें अपनी किस्मत बनाना,
क्या तुम्हें मंज़ूर हैं?
तुम्हारे कदमों की आहट से,
मेरी दिल की धड़कनों का तालमेल होना,
क्या तुम्हें मंज़ूर हैं?