खफ़ा
खफ़ा
एक लम्हा किसी को भी,
शायर बना सकता है,
अंदर हर वक्त दर्द छुपा हो,
ये जरूरी तो नहीं।
कलम हाथ में हो,
उस से लिखा न जाए,
हर वक्त एहसास लिखा जाए,
ये जरूरी तो नहीं।
हर शराबी शराब पीता हो,
हर कोई बस गम में ही पिए ये,
ये जरूरी तो नहीं।
हर इंसान अगर मीठा बोलता हो,
वो अच्छा दिखने की कोशिश करे,
वो सच में अच्छा ही हो,
ये जरूरी तो नहीं।
अगर एक इंसान,
हर वक्त तुम्हारा साथ दे,
वो ज़िन्दगी भर साथ निभाएगा,
ये जरूरी तो नहीं।
हर पागल,
अपने आप को पागल नहीं कहता,
हर इंसान प्यार में ही पागल हुआ हो,
ये जरूरी तो नहीं।
ईंटो को जोड़,
एक चारदीवारी बनती है,
हर चारदीवारी घर हो,
ये जरूरी तो नहीं।
गुस्से में हाथ मारने के लिए ही उठता है,
हर हाथ दुआ के लिए उठे,
ये जरूरी तो नहीं।
लिखना हर शायर की खूबी होती है,
हर शायरी में दर्द हो,
ये जरूरी तो नहीं।
हाँ खफ़ा हूँ मैं अपनी ज़िंदगी से,
अगर वो मुझे धोखा दे,
मैं हमेशा चुप रहूँ ,
ये जरूरी तो नहीं।