देश के नेता
देश के नेता
देश के नेता बन अभिनेता,
कैसा नाटक करते हैं,
मरने की हर बात पर धमकी,
देकर भी न मरते हैं।
टुकड़ों में बांटकर जनता,
कहते भारत अखंड है,
जितना लंबा भाषण देते,
उतना ही बड़ा पाखंड है।
बंद करो यह भाषण अपने,
इससे हम डरते हैं,
देश के नेता बन अभिनेता,
कैसा नाटक करते हैं।
कोई हिन्दू के, कोई मुस्लिम के,
धर्म के ठेकेदार बने,
भेज विदेशों में धन अपना,
देश के पहरेदार बने।
दोनों हाथों से लूटकर जनता को,
बैंक विदेशी भरते हैं,
देश के नेता बन अभिनेता,
कैसा नाटक करते हैं।
धरती बांटी बांटे दरिया,
कुछ न मिला जब करने को,
चुल्लू भर पानी दे दो कोई,
इनको डूबकर मरने को।
बीच मझधार में डुबोकर नईया,
खुद कुर्सी पर तरते हैं,
देश के नेता बन अभिनेता,
कैसा नाटक करते हैं।