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Sonia Goyal

Abstract Tragedy Crime

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Sonia Goyal

Abstract Tragedy Crime

तेजाब

तेजाब

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तेजाब पीड़िता की व्यथा

न मानी उसकी बात तो,

भला क्या मैंने गुनाह कर दिया।

क्यों उसने मेरे चेहरे पर तेजाब फेंककर,

मुझे हर खुशी से अलहदा कर दिया।


मुझे समझ नहीं आता कि,

कौनसा प्यार अपने मीत को बर्बाद करना सिखाता है।

अगर एक लड़की नहीं अपनाती किसी लड़के को,

तो वो इस बात को अपने अहम पर क्यों लगाता है।


हर किसी को हक है जहां,

अपने लिए साथी चुनने का।

फिर क्यों एक लड़की का चेहरा,

तेजाब के हवाले किया जाता है।


समझ में नहीं आता कि,

आखिर मैं इस बात का दोष किसको दूं।

मेरा गुनाहगार वो मनचला आशिक है,

या वो लोग जो तेजाब की बिक्री करते हैं।


सरकार ने लगा रखी है,

तेजाब बेचने पर पाबंदी।

फिर भी न जाने क्यों कुछ लोभी,

अपने लोभ के लिए लड़कियों की जिंदगी बर्बाद करते हैं।

शायद उनके घर में नहीं हैं बहु-बेटियां,

तभी तो वो बाकी लड़कियों की पीड़ा नहीं समझते हैं।


बेचकर तेजाब को सरेबाजार,

इनसे ही अपनी जेबें भरते हैं।


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