चाहत
चाहत
मेरे दिल के हर कोने में,
इस कदर हमने तुझे बसाया है।
कि मेरी हर चाहत में,
बस एक तू ही समाया है।
पता नहीं तूने इस दिल पर,
अपना कैसा जादू चलाया है।
मैं जब-जब देखूं आईना,
अक्स तेरा ही नज़र आया है।
मेरी हर बात में है,
ज़िक्र तुम्हारा।
तेरे सिवा न किसी का नाम,
इन होंठों पर आया है।
मेरी नींदों में भी हैं,
ख्वाब तुम्हारे।
तूने सपनों में आकर,
मुझे नींदों से जगाया है।
मुझे नहीं पता मैं तेरे लिए,
आम हूं या खास हूं।
पर तेरी हर एक अदा ने,
मुझे अपना दीवाना बनाया है।