सुकून
सुकून
गुलशन की कलियों से भँवरा जब मिलता है।
प्रेम से हँसते हुए सुमन तब खिलता है।
किसी की याद में जब मायूस हो जाओ,
भिगोकर आँसुओं से नैनों को सुकून मिलता है।।
तनहाइयों के नगर में मिलती है बस वीरान गलियाँ,
सुबह की ओस में जब नम होती है हरियालियाँ।
झुलसी हुई मिट्टी का भी ढेला तब गलता है,
भिगोकर आँसुओं से नैनों को सुकून मिलता है।।
किसी को चाह कर भी साथ ना होना,
जैसे खाली हो सदा मन का एक कोना,
याद करके उसी को ह्रदय शत बार जलता है।
भिगोकर आँसुओं से नैनों को सुकून मिलता है।।
वक्त चला जाए एकबार तो वापस आता नही,
याद आए उसकी एकबार तो वापस जाती नही।
वक्त और याद में बस यही फ़र्क खलता है,
भिगोकर आँसुओं से नैनों को सुकून मिलता है।।