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दशरथ जाधव

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दशरथ जाधव

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रुक जा ए उम्र

रुक जा ए उम्र

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ए उम्र न जा छोड़ के कि तेरी

मस्ती के दीवाने हैं हम,

तूफ़ानों में जलती ज्योति के

परवाने हैं हम,

अनगढ़ ज़िदगी के

पथिक अनजाने हैं हम,

ए उम्र न जा छोड़ के कि तेरी

मस्ती के दीवाने हैं हम,


कहीं प्याले तो कहीं पैमाने हैं हम,

अपनों के सपनों में भी बेगाने हैं हम,

है ख़बर कि तेरे तीर के अचूक

निशाने हैं हम,

ए उम्र न जा छोड़ के कि तेरी

मस्ती के दीवाने हैं हम,



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