श्वेत केश
श्वेत केश
दाढ़ी में चार श्वेत केशों को
देखकर पत्नी ने कहा
कि निकाल दो दाढ़ी।
बढ़ने से अच्छे नहीं लगते हो,
जैसे 1950 की हो गाड़ी।
आईने में देखकर उनको, लगे सोचने,
क्या जल्दी थी तुम्हें आने की पड़ी?
एक मुस्कुराते हुए बोला हमको,
गाड़ी अब बुढ़ापे की ओर चल है पड़ी।
दूजे ने कहा थोड़ा धीमे से हमको,
अब इंतजार में नहीं है कोई खड़ी।
छोड़ आईना हमने बंद की बात केशों से,
याद की कुछ पुरानी फुलझड़ी।
अर्धांगिनी ने दी आवाज़ जोर से,
देखा तो उस्तरा लेके कब से थी खड़ी।