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दशरथ जाधव

Romance

4.8  

दशरथ जाधव

Romance

स्व-शोधन

स्व-शोधन

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वो कहते हैं कि हम बेकार हो गए,

कैसे कहें कि वक्त से पहले ज़िम्मेदार हो गए।


पग-पग पे लगी ठोकरों से ,

पता ही न चला कि कब समझदार हो गए। 


मानते हैं कि हमने रास्ता गलत चुना था,

लेकिन उसपे बढ़ते कदम मेरे असरदार हो गए।


वो अपने तो हम से खफा हो गए,

मगर गैरों से भी हम वफादार हो गए।


हैं हम धन के मामले में कंगाल मगर,

दिल से तो मालदार हो गए।


कभी थी तमन्ना उनसे हमें कुछ मिलने की,

मगर आज हम खुद के मददगार हो गए।     


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