प्रकाश-पथ
प्रकाश-पथ
सागर के तह में जो बूँद जम जाए,
वह मोती कहलाए।
मन के तम में जो मार्ग दिखाए,
वह ज्योति कहलाए।।
लक्ष्य-पथ पर हैं जुगनू बहुत पर,
अँधेरे में चलने से सब डरते हैं।
जो अदम्य साहस से कदम बढ़ाए,
वह निश्चय पंथी कहलाए।।
यत्न से जब फल मिलता है किसी को,
स्वाद अनोखा होता है।
पगडंडी से हटके जो खुद अपनी राह बनाए,
वह सुरपति कहलाए।।
पग-पग पर लेके सहारा किसी का,
बढ़ने में क्या बड़ाई है।
निज बुद्धि-बल से जो यश आए,
वह उन्नति कहलाए।।