स्नेहमयी माँ (मदर टेरेसा)
स्नेहमयी माँ (मदर टेरेसा)
मानवता की जीती जागती वे थीं मिसाल
दूसरों की कर सेवा मन में होती निहाल
नाम एग्नेस गोंझा बोयाजू वे छोटी लली
गरीबी में थी पली बढ़ी सुंदर फूल कली
नीले आँचल में सजी, थी एक देवी प्यारी
मेसिडोनिया की धरा पर, गूंजी किलकारी
अल्बेनियाई परिवार स्कोप्जे जन्मस्थान
निकोला और द्रोना की, वो संतान महान।
पिता निकोला बोयाजू , सहृदय स्नेहपूरित
माता द्रोना के आँचल में , सपने थे स्फूरित
प्रेम और सेवा का दिया जो उन्होंने जलाया
मानवता की सेवा में, जीवन सारा बिताया
परिश्रमी ,विदुषी , साहसी वे गायिका थीं
आयरलैंड से 1929 कोलकाता पहुंची थीं
होली फैमिली हॉस्पिटल से नर्सिंग प्रशिक्षण
1948 में खोला निर्मला शिशु सदन शिक्षण
दीन-दुखियों की सहारा , वे आत्मा महान
कई जीवन बदल दिए थे ,दे उनको वरदान
कलकत्ता की गलियों में, उन्होंने जो देखा
कष्टों के बीच, मिली उन्हें सच्ची राह लेखा
निराश्रितों की सेवा में, दिन-रात लगी रहीं
ममता की मूरत बनकर, दुनिया में छा गईं
निरंतर,मानवता हेतु धरा पर उतरी देवदूत
ममतामूरत बिन कहे समझीं दर्द की सूरत
हर दिल के आँगन में ,प्रेम दीप था जलाया
अपने आँचल में सबको, स्नेह से सहलाया
न कोई स्वार्थ, न भेदभाव बस सेवा धर्म था
गरीबों की थी आस ,दुखियों का संबल था।
मदर टेरेसा, आप हो अमर, सीखें सब प्यार
आपके पथ चलें सदा ,हम सबका आभार
छोड़ सुख-सुविधाएँ,पर दुख दर्द बाँटने आईं
हर भूखे को दे निवाला , ममत्व पाठ पढ़ाई
बीमार,बेसहारा, लाचार,सबकी थीं सहारा
अपनी ममता की छांव दी जो हुए बेसहारा
1962 में पद्म श्री 80 में भारत रत्न मिला
नोबेल शांति पुरस्कार , मातृत्व भाव सिला
सितंबर 1997 को अपना जीवन त्याग दिया।
