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मिली साहा

Inspirational

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मिली साहा

Inspirational

चल पड़ा हूँ जीवन पथ पर

चल पड़ा हूँ जीवन पथ पर

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समाज की जलती सोच का आलिंगन कर,

मैं चल पड़ा हूँ बेफिक्र, इस जीवन पथ पर,


जानता हूँ ये सफ़र ना होगा इतना आसान,

पल-पल चलना पड़ता है यहां अंगारों पर,


संघर्ष ही मूल जीवन का, यही हकीकत है,

संघर्ष ही अंकुश,इस दुनिया के सवालों पर,


ज़िंदगी बोझ नहीं बस जीने का सलीका हो,

कर्म मंत्र ही विजय, जीवन की आंधियों पर,


चल रहा था दुनिया की सोच पर अब तक,

क्या मिला चलकर, दुनिया की लकीरों पर,


चलता रहूंगा कर्तव्यनिष्ठ हो मंजिल की ओर,

दृढ़ विश्वास है कि जीत होगी मेरी संघर्षों पर,


जीवन का यही संघर्ष तो मेरी ताकत बनेगा,

खड़ा उतरना है अब खुद की ही उम्मीदों पर,


खुद की बनानी है अब मुझे एक पहचान नई,

कोई बाधा ना आने दूंगा अब मेरे ख़्वाबों पर,


बढ़ा चुका जिन कदमों को आगे,पीछे न हटेंगे,

अपनी जीत के निशां बनाऊंगा मैं पाषाणो पर,


तूफानों के आगे डाटा रहूंगा सदैव सीना तान,

अपने हौसलों से राह बनाऊंगा मैं चट्टानों पर,


जीवन पथ का पथिक हूं, करना है उद्देश्य पूर्ण,

कर्म है सारथी,यकीन नहीं हाथ की लकीरों पर,


लकीरें मिट सकती हैं पर कर्म बनाती तकदीर,

कर्म बिना जीवन नैया नहीं लगती, किनारों पर,


जीवन पथ पर चलते चलते कुछ बदले ना बदले,

रुख बदलेगा हवा का यकीं है खुद के इरादों पर।


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