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ritesh deo

Romance

4  

ritesh deo

Romance

सुहाना

सुहाना

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मुसलसल उदासी का सफर और तेरा अचानक मिलना

किसी सुस्त नाव को जैसे दरिया की तेज़ धार मिले


तूने छोड़ा कल शब तभी से जम गई हूँ मैं

मुझे छुओ की मेरे वक्त को भी रफ़्तार मिले


मेरी कम बयाँनगी और उसपे तुम्हारा नासमझपन 

संगीन मरीज़ को ज्यों नीम चारागार मिले 


जमा है मेरे घर तेरे सब ठुकराए हुए 

एक ही फूल के हम सब तलबगार मिले


तमाम उम्र का वादा करो और फिर मुकर जाओ

 बेवफ़ाओं पर लिखने को कुछ आश्आर मिले 


इत्र साज़ हाथों का लम्स दो और कीमती बना दो

 कागजी फूल को अब तक ना खरीदार मिले 


किसी दिन ढूँढ ही लेंगे लोग उदासियों की दवा 

मुमकिन है तब तलक मेरी तस्वीर पर हार मिले।



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