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ritesh deo

Romance

4  

ritesh deo

Romance

मै और तुम

मै और तुम

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करके आँखे कत्थई सी,मै थोड़ा इतराना चाहती हूँ

सुनो ना मेरी जान,

मै तुम्हारे रंग में रंग जाना चाहती हूँ।


उन कत्थई आँखों से तुमको निहारना चाहती हूँ

सुनो ना मेरी जान,

मै तुम्हारी नज़र उतारनी चाहती हूँ।


बहती हवा संग,काली घाटा संग..

तुम्हारे संग समय बिताना चाहती हूँ,

सुनो ना मेरी जान,

मै तुम्हारे संग गुनगुनाना चाहती हूँ।


चुन चुन कर ख्वाबो को,

मै आशियाँ बनाना चाहती हूँ,

सुनो ना मेरी जान,

मैं तुममें शामिल हो जाना चाहती हूँ


उलझें से उन धागों को,

मै प्यार से सुलझाना चाहती हूँ,

सुनो ना मेरी जान,

मै तेरे प

्यार में उलझ जाना चाहती हूँ


अपने ऊपर मैं बस ..तुम्हारा अधिकार चाहती हूँ

सुनो ना मेरी जान,मैं तुम्हारी होना चाहती हूँ


अपने नखरे मै सिर्फ तुम्हें दिखाना चाहती हूँ

सुनो ना मेरी जान, मैं तुम्हारी जान बनना चाहती हूँ


अपना हर सुख दुःख 

मै सिर्फ तुमको बताना चाहती हूँ

सुनो ना मेरी जान, 

मैं ता उम्र तुम्हारा साथ निभाना चाहती हूँ।


थोड़ी सी लापरवाहियां मै खुद से करना चाहती हूँ,

सुनो ना मेरी जान,

मैं तुम्हारा डांट वाला प्यार पाना चाहती हूँ।।


सुनो ना मेरी जान....

मै खुद को तुम्हारा बनाना चाहती हूँ।।



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