मेरी आकृति को दिया आकार
मेरी आकृति को दिया आकार
तुम आद्वितीय शिल्पकार नव तन को दिया आकार,
संपूर्ण अंगों को शुघडता से तुमने ही दिया है सुधार!
झीना अवंगुंठन के अंदर से तुम्हें झांक होती निहार,
मेरे अंग प्रत्यंग को तुमने दिया सुन्दर नवीन आकार!
तुमने मेरे व अपने दोनों के सपनों को किया साकार,
छोनी हथौड़ी से मेरे शरीर को बना दिया रुपवती नार!
आज ही तुमने संसार को दिया एक अनुपम उपहार,
मैं तेरी सपन सुंदरी तू ही मेरे सपनों का राजकुमार!
मेरे नख शिख का किया श्रृंगार दो पवित्र बंधन साकार,
जगतनियन्ता ने तुम्हें दिया ये जीवन का दिव्य उपहार !
तेरी कल्पना शक्ति ने मेरी आकृति को दिया आकार,
तेरी मनमोहिनी कला को निरख मैं हो गई हूं निसार!
हम दोनों मिलकर करें शिल्पकला की कला का प्रसार,
मेरी नारीत्व की सुन्दर आकृति को दिया दिव्य आकार!
मैं अब तुझसे ही टूट कर करने लगी हूं पवित्र प्यार,
मेरी काया का निर्माण कर तू बना अद्वितीय मूर्तिकार!
मैंने भी तुझसे अपने पवित्र प्रेम का किया है इजहार,
एक कलाकार से किया प्रेम, सजा दिया कला का संसार !