संबंध
संबंध
हमारे हल्के गुलाबी प्रणय के दिनों में मैने तुम्हे बताया ,
तुम्हारा स्थान मेरे ह्रदय में सदैव के लिए संरक्षित है ,
तो तुम साथ ही इच्छा जता बैठे एकमात्र होने की।
और मैं ठिठक गयी,ये कैसी इच्छा कह दी तुमने ,
एकमात्र होने की इच्छा किसी के हृदय में ,
छीन लेती है आपका सुख ,चैन ,सबकुछ।
तुम्हारी इच्छा इंगित कर बैठी मेरी दुर्बलताओं को,
मेरे अपरिपक्व प्रेम को,मेरी असफलताओं को।
जो मैं करा न सकी महसूस तुमको कि तुम्हारा स्थान,
एकमात्र व विशेष है सदैव मेरे ह्रदय में।
और एक टीस समेट ली मैने अपने वामांग में,
ह्रदय करुणा से भर उठा है ,तुमसे ज्यादा अपने आप के लिए।
ह्रदय में एकमात्र स्थान होना जड़ कर देता है ,
और हमारा प्रेम तो चैतन्य रहा न ।
बदलते समय परिवेश के साथ ताल से ताल मिलाता ,
हमेशा अद्यतन।
हम नही जानते भविष्य में हमारा प्रेम,
नभ छू लेगा या मुँह की खा धूल धूसरित हो मिलेगा धरा में।
पर हम दोनों ये बाखूबी जानते हैं कि
'एकमात्र' का लोभ निश्चित ही विकृत कर देगा हमारे सम्बन्ध।
हम स्वयं से ही चुरायेंगे अपनी नज़र,
क्योंकि हमने भी तो छिना है न किसी न किसी का ,
एकमात्र होने के सुख।
अपने गुलाबी प्रेम के दिनों में।

