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Goldi Mishra

Romance

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Goldi Mishra

Romance

सर्द लम्हे

सर्द लम्हे

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ठिठुरन और एक ठहरी खामोशी,

कांपती सी मैं और एक टक ये रात मुझे निहारती,

पन्ने बिखरे पड़े है,

उन पर सिहायी थी बिखरी,


नम गुलाब है,

ओस उन पर थी ठहरी,

ठंडी पड़ चुकी चूल्हे की लकड़ी,

उसमें मानो एक चिंगारी बाकी थी,


एक गीत अधूरा,

जिसकी धुन ने दिल को था जीता,

एक स्वर अनूठा,

जिसने अंदर तक मुझको छुआ था,


ये लंबी रातें और यादों का सताना,

ये मौसम शांत और आंगन में शोर था पसरा,

एक ठिठुरन तन में,

एक ठिठुरन मन में,


बस कह देना चाहती हूं जो कहा नही,

बस सुनना चाहती हूं जो गीत मेरा हुआ नही।



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