आ जाओ ना दिकु
आ जाओ ना दिकु
सुनो दिकु...
जिस तरह सपना बनकर आती हो
मेरे दिल को सुकून पहुँचाती हो
उसी तरह हकीकत में आओ ना
मेरे कांधे पर सर रखकर पास बैठ जाओ ना
बहुत-सी बातें हो गयी है जो तुम से करनी है
मन में छाई हुई तिमिर को तुम्हारी रोशनी से भरनी है
मेरी यह सारी बकबक को सुन जाओ ना
में उलझ गया हूँ, आकर मुझे सुलझाओ ना
देखकर तुम्हें चेहरे पर चमक आ जाती है
तुम बिन यह ज़िंदगी वीरान हो जाती है
अपनी प्यारी-प्यारी बातों से,
मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट लाओ ना
एहसासों के आलिंगन से,
मुझे सुकून दे जाओ ना
जिस तरह सपना बनकर आती हो
उसी तरह हकीकत में आओ ना
मेरे कांधे पर सर रखकर, पास मेरे बैठ जाओ ना
*प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए*

