Dr.SAGHEER AHMAD SIDDIQUI डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी

Romance

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Dr.SAGHEER AHMAD SIDDIQUI डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी

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नफरतों से अब रिफाक़त पे असर

नफरतों से अब रिफाक़त पे असर

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नफरतों से अब रिफाक़त पे असर पड़ता है।

दिल में शक हो तो मुहब्बत पे असर पड़ता है।


खुशू खुज़ू से अमल कोई भी करो साहिब।

नेकियों से तो इ़बादत पे असर पड़ता है।


बड़े मज़बूत तुम बुनियाद बनाकर रखना।

कच्ची हों ईंट, इमारत पे असर पड़ता है।


हुस्न रहता है जब बा पर्दा हसीनाओं का।

इससे चेहरे की लताफ़त पे असर पड़ता है।


दूर रखो तुम सियासत को अपने रिश्तों से।

इससे रिश्तों की मुसर्रत पे असर पड़ता है।


अद्ल ओ इंसाफ का मीज़ान बनाकर रखना।

दोहरे चेहरों से शराफ़त पे असर पड़ता है।


राज़ जो घर के हैं गै़रों से न साझा करना।

ऐ "सगी़र" इस से हिफ़ाज़त पे असर पड़ता है।


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