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Goldi Mishra

Romance

4  

Goldi Mishra

Romance

उस गीत के बोल

उस गीत के बोल

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उस गीत के बोल प्यारे थे,

मेरे गांव की गलियों में जो गूंजे थे,

तीज थी ना जाने सावन की थी बेला,

मैंने सुनी जो गीतकारी मन मेरा होकर मेरा ना था,


रांझा बन उस हीर का होने को था,

मैं बंसी की धुन सा कान्हा का होना चाहता था,

बैराग ये लगा मानो जग से बना बेगाना था,

वो गीत था मानो सांसों में जा घुल बैठा था,


मेरे तन को चीर मन को उसने महकाया था,

वो इत्र इत्र सा हो कर जीवन को रचने आया था,

कोई दे उसे ख़बर एक गली गांव की सूनी है,

एक उसके गीत की खातिर मंदिर की प्रार्थना तरसी है,


रज रज उसे मनाऊं मैं अपनी किसे सुनाऊं,

खत शोर बहुत करते है मैं उस तक पन्ने कैसे पहुंचाऊं,

इस शाम को संग उसके गीत के साथ बिता दूं,

वो गाए मेरे आंगन में मैं एक एक धुन कदमों में उसकी बिछा दूं,


वो उस पार है,

मेरे इस हाल से वो आज भी अनजान है,।।


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