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Pratiksha chavan

Romance

4.2  

Pratiksha chavan

Romance

प्यार करो --- खुद से करो

प्यार करो --- खुद से करो

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प्यार करो , बेइन्तहा करो,

किसी और से नहीं , खुद से करो,

खुद के लिये काफी हो तुम ,

तूम ही तो समझते हो खुद को बेहतर,

प्यार करो , बेपनाह करो ,

किसी और से नहीं खुद से करो . I१I

        प्यार है तुम्हें तुमसे मगर ,

        जानते तुम खुद को अगर,

        ठहरा है पूरा जहां वहाँ,

        बस खुद के लिये ही वक्त कहा ?

        प्यार करो, बेवजह करो,

        किसी और से नहीं ,खुद से करो . I२I

चारों ओर प्यार को ढूंढा तुमने,

बस खुद को ही तो खोया तुमने ,

अगर देख लो आईना तुम ,

पहचानेंगे क्या खुद को तुम ?

प्यार करो , बेशुमार करो ,

किसी और से नहीं , खुद से करो . I३I

        जब भी ठुकराया गैरों ने तुमको ,

        तब भी अपनाया तुमने खुद को ,

        सब जान के अनजान बने हो ,

        अब तो चाहो खुद को ,

        प्यार करो , बेमतलब करो ,

        किसी और से नहीं , खुद से करो l४l.

       

  


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