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Chandresh Kumar Chhatlani

Romance

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Chandresh Kumar Chhatlani

Romance

प्यासी घटाओं का मौसम

प्यासी घटाओं का मौसम

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ये परबत पे प्यासी घटाओं का मौसम,

आओ यहाँ पे खो जाएँ हम।

ये झरनों का संगम, गुलों सा है हमदम,

आँचल तले सो जाएँ हम।


सूरज की पहली किरण जगाये,

चाँद थपकी दे कर सुलाए,

ये चिनारों के पत्ते, बारिश की रिमझिम, 

इस जहां में खो जाएँ हम।

ये परबत पे प्यासी घटाओं का मौसम...


हवाएं महकती चली जा रही,

बारिश की बूँदें गुनगुना रही,

ये किताबों सी मंजिल, बर्फ का दर्पण,

हौले से इनको छू जाएँ हम।

ये परबत पे प्यासी घटाओं का मौसम...



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