भोजन करो मौसम के अनुकूल, निरोगी काया से रहो भरपूर। भोजन करो मौसम के अनुकूल, निरोगी काया से रहो भरपूर।
गुनगुनी चाह की सरगोशी लिए .. कैसे आया बरसता भीगता मौसम। गुनगुनी चाह की सरगोशी लिए .. कैसे आया बरसता भीगता मौसम।
ना जाने कहां जा रहे हैैं हम, ना जाने कहां जा रहे हैैं हम। ना जाने कहां जा रहे हैैं हम, ना जाने कहां जा रहे हैैं हम।
बवंडर है ये जो यही कहीं से गुजरा है मसला तो वहां का है जहां जाकर ये खेला है। बवंडर है ये जो यही कहीं से गुजरा है मसला तो वहां का है जहां जाकर ये खेल...
प्यासे परिंदों और वादियों को, अब बस बूंदों का इंतज़ार है। प्यासे परिंदों और वादियों को, अब बस बूंदों का इंतज़ार है।
जुडी हुई वो ख़ूबसूरत यादें, लोटकर पुनः वो पल न आये। जुडी हुई वो ख़ूबसूरत यादें, लोटकर पुनः वो पल न आये।