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Jyoti Astunkar

Abstract Tragedy

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Jyoti Astunkar

Abstract Tragedy

मौसम

मौसम

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मौसम की हैं हरकतें कमाल

कभी शांत तो कभी धमाल

वादियों की फितरत 

आज कुछ नई सी है


एक सौंधी सी खुशबू

सांसों में समाई सी है

आस पास खेलती हवाएं

छूकर गुजरती उसकी अदाएं


मौसम की इस हरकत पर

फिदा है हम इस नज़ाकत पर

कुछ दोस्त है बसे दूर दराज़ों पर

परेशान हैं इस बेवजह की हरकत पर


घर उजड़े गांव उजड़े

सुकून नहीं परेशानी मिले

मौसम की हरकत जो

नजाकत की हद से गुज़रे


बवंडर है ये जो

यही कहीं से गुजरा है

मसला तो वहां का है

जहां जाकर ये खेला है।


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