वो खूबसूरत शाम
वो खूबसूरत शाम
सर्द हवायें इठलाती लतायें,ध्यान भटकायें कभी नजरे चुरायें
ख़ूबसूरती देख के प्रकृति की, हाथों में थे हम हाथ थमाये
दिलकश अदायें वो शर्मायें, एक-दूजे को बस तकते जायें
नीला अम्बर दरख़्त से सटकर बैठे हुए दो दिल बतलाये
मन घबराये जिया धड़काये, वो खूबसूरत शाम बन जाये
जिया ललचाये रोक न पाये, पूनम का वो चाँद जब आये
इकरार-ए-मोहब्बत झुकी निगाहें एक दूजे को गले लगायें
जुडी हुई वो ख़ूबसूरत यादें, लोटकर पुनः वो पल न आये।