STORYMIRROR

Chandni Purohit

Others

4  

Chandni Purohit

Others

सामंजस्य

सामंजस्य

1 min
370

 विचलित मन आकांक्षाओं भरा एक छोटा सा कोना 

न जाने क्या ढूंढे प्रति पल भला क्यूँ किसी का होना 


पत्ते बिछड़े पतझड़ में, तुझे वृक्ष सा सामर्थ्य संजोना 

सुखी टहनी सोच न पगले, एक दिन सबकुछ खोना 


माया जगत में माया से खोटा सिक्का भी होता सोना 

संवेदना भरा साहिल लिए क्यूँ समय की बाट जोहना 


मलिन हो जाता निर्मल भी जब निरीक्षक का मन होना 

ऊँचे ऊँचे दुर्गम चढ़कर भी कौन सा खजाना कहाँ छुपोना 


सब धूमिल है सब नश्वर यहाँ रहता ना सदा कोई सलोना

पल की खुशियाँ पाने के लिए क्यूँ सदा का उदास होना 


छैल भँवर में अवांछित सा पाने को कुछ मन तेरा डोलना 

न जाने क्या ढूंढे प्रति पल भला क्यूँ फिर किसी का होना


Rate this content
Log in