Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Chandni Purohit

Abstract

4  

Chandni Purohit

Abstract

संस्मरण

संस्मरण

1 min
1.1K


 छिप गया सूरज और रात आयी किसी तरह 

देख सितारा आकाश में फिर से मुस्कुराने लगी 


छोड़ गये देह तुम अपनी बचपन बिताया किसी तरह 

आज विवाह की बेला पर आंख मेरी यूँ छलकने लगी 


ताने बाने रिश्तेदारी सब कुछ मैंने निभाया किसी तरह 

वर्षों से घर का मर्द बनी आज माँ भी बेटी कहने लगी 


उम्र कम थी तुम्हारी खजाना भर संस्कार दिए किसी तरह 

बाबुल तेरा अंगना छूट रहा तन्हाई भी जीवन से गुजरने लगी


बस एक बार आ जाओ ना सीने से लगाने मुझे किसी तरह 

क्या होता कोई चमत्कार होगा सोच आसमान को निहारने लगी 


यकायक याद आया देख रोता मुझे तकलीफ ना हो तुमको किसी तरह  

बस विदाई के क्षण आशिर्वाद संग तुम्हारी खुशबू का एहसास करने लगी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract