STORYMIRROR

Amit Singhal "Aseemit"

Abstract Inspirational

4  

Amit Singhal "Aseemit"

Abstract Inspirational

ॐ नमः शिवाय

ॐ नमः शिवाय

1 min
212

ॐ नमः शिवाय जपो ॐ नमः शिवाय हो।

आप ब्रह्मांड के हर कण कण में समाए हो।


जब धरती पर पाप अत्याचार बढ़ आए थे।

आप सबके प्राण बचाने अवश्य ही आए थे।


अमृत मंथन के विष को कंठ में स्थान दिया।

मां गंगाजी को अपनी जटाओं से बहा लिया।


वासुकी नाग को अपने कंठ पर लिपटाया।

चंद्र देव को अपने सिर पर शोभित कराया।


नंदी जी पर सवार हो तीनों लोक घूम आते।

एक हाथ में त्रिशूल है, दूजे से डमरू बजाते।


तन पर केवल बाघ की खाल का वस्त्र धरते।

तन पर भस्म लपेटे हुए एकांत में धूनी रमते।


क्रोध आने पर आपका तीसरा नेत्र खुल जाता।

क्रोध में तांडव नृत्य से पूरा ब्रमाण्ड हिल जाता।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract