इश्क और आँखें..
इश्क और आँखें..
इश्क की बातें छिपे न छिपायें,
कितना ही मुँह पे ताला लगायें,
आँखें बता देती बात,
दिन हो अथवा रात।
भीड़ से चुन लेती एक,
जिस पे दिल देती फेंक,
करा देती मुलाकात,
आँखें बता देती बात।
बन के स्वयं अनजान,
कर लेती प्रीत पहचान,
दिखला देती करामात,
आँखें बता देती बात।
छोटी सी आँखें ये गोल,
मालिक की देन अनमोल,
सबको दिये हैं सौगात,
आँखें बता देती बात।
