क्या हुआ नारी हो तुम..
क्या हुआ नारी हो तुम..
अगर कहे तुम्हें कोई दाग का चेहरा
उस रोज खुद को चांद बताना तुम।
अगर उठे निगाहें गंदी तुम पे
उस रोज खुद को सूरज की गर्मी बनाना तुम।
तो क्या हुआ अगर नारी हो तुम
अपने सपनों के लिए लड़ के दिखाना तुम।
अगर रोके कोई तुम्हें ऊंची उड़ानों से
उस रोज पंख बाज सा फैलाना तुम।
जो बोलते हैं तुम कुछ नहीं कर पाओगी
सफल हो कर उनके मुंह पर ताला लगाना तुम।
जो कहते तुम निर्भर हो दूसरों पर
उनको अपने पैरों पर खड़े हो कर दिखाना तुम।
जब डाले कोई पैरो में जंजीर सी पायल
उस रोज सारी बंदिशें तोड़ के दिखाना तुम।
तो क्या हुआ अगर तुम नारी हो
खुद की एक अलग पहचान बनाना तुम।
जो कहते बस बेटे ही सब हैं
उन मां बाप का सर गर्व से ऊपर उठाना तुम।
तो क्या हुआ अगर तुम नारी हो
बेटो से अच्छी बेटी बन कर दिखाना तुम।
जब बोले कोई नाजुक सी तुमको
उस रोज
चूड़ी वाले हाथों की ताकत उनको दिखाना तुम।
तुम नारी हो तो क्या हुआ।
शान से अपने पंखों को खुले आसमान में लहराना तुम।
किसी के सहारे रहने से अच्छा
किसी का सहारा बन जाना तुम।