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Madhu Vashishta

Action Inspirational

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Madhu Vashishta

Action Inspirational

एक बार खुलकर तो जी ले जरा !

एक बार खुलकर तो जी ले जरा !

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लोग तो मरते मरते भी जी जाते हैं,

क्यों भला तुम जीते जी ही मरते हो।

जीवन मिला है एक बार तो जी लो यारो!


मरना जीना तो परमात्मा के हाथ में है,

हम जल्दी ही मर जाएंगे यह सोच कर

परमात्मा का काम खुद ही क्यों किया करते हो?


निराशा को बसाए हुए हो मन में तुम

आशा के आते ही उस से छुप जाते हो।

कोई तुम्हें क्यों कर और कैसे समझाए?


माना आशा सबसे मजबूत है-

पर वह भी बिन बुलाए भला क्यों कर आए।

आस पास बन लिया है मजबूत ताना-बाना अंधेरे का,

रोशनी भला कहां से छनकर आए?


अंधेरे में तो आएंगे चमगादड़ और मकड़ियां ही,

वह क्यों ना अपने साथ ही तुम्हें भी उल्टा लटकाएं।


अरे! मूर्ख मन थोड़ा बाहर निकल कर तो देख

माना रात अंधेरी है पर फिर भी कदम आगे बढ़ा कर तो देख,


सूरज नहीं है तो क्या हुआ जुगनुओं की रोशनी तो बार-बार आती है‌

उन्हीं के पीछे पीछे चल कर तू आगे तो बड़।


मरना तो 1 दिन सब ने ही है तू खुद जीने की ख्वाहिश तो कर,

छिटक कर मौत की ख्याल को पीछे तू थोड़ा आगे तो बढ़।


देख तो जुगनू के आगे कहीं दूर सूरज के निकलने का आगाज भी है।

पंछियों का चहचहाना और बहती नदियों के संगीत की मधुर आवाज भी है।


अरे मूर्ख एक बार मन को इन आवाजों में खोने तो दे।

एक बार अपने जीवन को सफल होने तो दे।


मरना जीना तो परमात्मा के हाथ में है

वह मारे चाहे जिलाए,

यह तो वही जाने-


मन तू तो बस इतना ही कर कि अपनी मुस्कुराहट को कहीं भी जरा सी कम होने ही ना दे।


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