बूंद बूंद जीवन बरसे
बूंद बूंद जीवन बरसे
बूंद बूंद जीवन बरसे,
देख देख के मन तरसे,
जब जब बारिश होती,
आसमान बादल गरजे।
जल जीवन का आधार,
कर ले जल से तू प्यार,
अमृतमय होता है जल,
महिमा होती है अपार।
अद्भुत द्रव्य कहलाता,
शीतलता तन दिलाता,
क्रोध अगर जब आये,
पल में ही शांति लाता।
किसान रहता है निर्भर,
बहता नदियों में झरझर,
बच्चे नहाते खुशी खुशी,
पसीनों से हो तर बतर।
नदी, नाले और हैं सागर,
जल भरे देता बड़ा गागर,
जल लाता खुशियां हजार,
हर जन को जल से प्यार।
बूंद-बूंद जीवन बरसता,
लेकर चले हल किसान,
जल होगा तो कल रहेगा,
जल बचत को रहे तैयार।
बूंद बूंद जीवन बरसेगा,
आयेगी बागों में बहार,
पपीहा बोलेगा वन में,
आएं अनेकों ही त्योहार।
जल बरसेगा जब आंगन,
मन में उठे प्यार की लहर,
बादल फट जाते हैं कभी,
टूट पड़ेगा तब एक कहर।
बूंद बूंद जीवन बरसे नभ,
मन खाएगा कई अठखेली,
देख देख शृंगार करती है,
जगत में सुंदर नार नवेली।
आओ बादल अब झूम के,
बरसों मेरे आंगन में आज,
मन में कितने विचार पनपे,
खोल दो सारे मन के राज।
बूंद बूंद जीवन बरसे नभ,
तब तब आएगी नई बहार,
आ जाओ अब तो प्रियतमा,
तरसता अब मन भी प्यार।।