बारिश हो रही है शहर में
बारिश हो रही है शहर में
पल पल मौसम बदल रहा,
बुंदा बांदी हुई है दोपहर में,
ठंडी ठंडी हवा चल रही है,
बारिश हो रही है शहर में।
पोखर भर गये गांव गांव,
कौवे कर रहे कांव-कांव,
दादुर सुर में गीत गा रहे,
बच्चे चलाए कागज नाव।
काले काले बादल चलते,
नये विचार मन में पलते,
चहुं ओर हरियाली छाई,
प्रेमी युगल राहों में मिलते।
छतों पर मच रहा है शोर,
जंगल में नाच रहे हैं मोर,
बादल गरजे घटा घनघोर,
लुक्का छिपी करते चितचोर।
गलियों में बह रहा पानी,
पैदल चले याद आये नानी,
पानी की हो अजब कहानी,
नहाये बच्चे करते मनमानी।
नभ पर उड़ते रंगीन पतंग,
पेच लड़ाये छेड़ रहे जंग,
वो मारा वो काटे का शोर,
बरस बरसकर हो गई भोर।
छपाक छपाक करते चले,
पनपे प्यार अंबर के तले,
कहीं सर्प करते फुफकार,
पपीहा को वर्षा से प्यार।
वाहन चलते तेज रफ्तार,
वर्षा का जल हो तार तार,
देखते वहीं बहता है जल,
सावन मदमाता बाहर चल।
गली में चलना हुआ दूभर,
सावन माह है भजे हर हर,
जहरीले कीटों का मिले डर,
कीट पतंगे जमकर रहे मर।
हर घर में बन रहे पकौड़े,
चाय संग खाते थोड़े थोड़े,
कीट बढ़े बढ़ गये मकौड़े,
कंजूस धन पाई पाई जोड़े।
बारिश हो रही है शहर में,
खुल जाता कभी पहर में,
गर्मी अब मिटती ही जाये,
सावन मौसम सभी लुभाये।